Tuesday 20 May 2008

कविता

युग का करने निर्माण जवानी जागा करती है ।
करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है ।
जब कंस और रावण से अत्याचारी होते हैं,
दुर्योधन, दु:शासन जैसे व्यभिचारी होते हैं ।
अन्यायों से उत्पीड़ित जनता जब चिल्लाती है,
शिशुपाल सरीखे उच्छृखल अधिकारी होते हैं ।
तब बन करके भगवान, जवानी जागा करती है ।
करने को नित बलिदान, जवानी जागा करती है ।
-कृष्ण मित्र

1 comment:

Doobe ji said...

aaj kal jawani disco karne ke liye jag rahi hai ramp par chalne ke liye jaag rahi hai